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Collection of Hindu Ethics & Religion Studies Books |Gita Vatika | MAHAKUMBHA| Nathpanth | Self-Realization| Vedic Wisdom | Sanatan| Culture | Mysticism (Set of 3 Books in Hindi)

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9789355623447 : Gita Vatika ke Chune Huye Pushp

मनुष्य जीवन दुर्लभ है, अनमोल है। इसका महत्त्व समझे। जीवन अशुभता का करीषचय (गन्दगी का ढेर) न बनने दे, जहाँ से दुष्वृत्तियों, दुर्गुण दुर्भाव एवं दुर्व्यव सनों की दुर्गन्ध – दुर्बास आये।

आओ, प्रवेश करें गीता वाटिका में। विभिन्न भावों के चुने हुए पुष्पों की सुन्दर-सुबासित माला-स्वीकार करें धारण करने का मन बनायें; अवश्य ही अनुभव होगी सद‌विचार, सद्‌गुण एवं सत्कर्म – सद्भाव की प्रेरक सुबास, जगेगा दृढ़ आत्म विश्वास; ज्ञान’. का प्रकाश, ‘आनन्द’ का उल्लास; आओ जी ओगीता’ भावों के साथ पाओ दिव्य ‘श्री कृष्ण कृपा सौगात ।

9789355626103 : MAHAKUMBHA: Sanatan Sanskriti ki Ajasra Chetna

कुंभ भारतीय समाज का ऐसा पर्व है, जिसमें हमें एक ही स्थान पर पूरे भारत के दर्शन होते हैं। हर बारह वर्ष बाद शंकराचार्यों के नेतृत्व में हमारे मनीषी देश की नीति और नियम तय कर समाज को संचालित करते थे। ये नियम सनातन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के साथ-साथ समय की माँग के अनुसार भी बनते थे।

कुंभ पर्व के दौरान माँ गंगा में स्नान का महत्त्व भी पुण्यफल देने वाला है। केवल स्नान कर लेने से कुंभ पर्व का उद्देश्य पूरा नहीं होता, जब तक वैचारिक आदान-प्रदान न हो और देश के विभिन्न प्रांतों से विविध भाषा-भाषी आध्यात्मिक उन्नयन, देश के उत्थान की चर्चा, धर्म की चर्चा, अपनी पुरातन संस्कृति को कैसे जीवित रखा जाए तथा समाज को नई दृष्टि देकर उसका मार्गदर्शन कैसे किया जाए आदि पर चर्चा न करें।

9789355622884 : Nathpanth Ka Itihas

महात्मा बुद्ध के बाद भारत में सामाजिक पुनर्जागरण का शंखनाद महायोगी गोरखनाथ ने किया। गोरखनाथ भारतीय इतिहास में ऐसे तपस्वी हैं, जिन्होंने विशुद्ध योगी एवं तपस्वी होते हुए भी सामाजिक-राष्ट्रीय चेतना का नेतृत्व किया। उन्होंने नाथपन्थ का पुनर्गठन सामाजिक पुनर्जागरण के लिए किया। पारलौकिक जीवन के साथ-साथ भौतिक जीवन का सामंजस्य बिठाने वाले इस महायोगी ने भारतीय समाज में सदाचार, नैतिकता, समानता एवं स्वतंत्रता की वह लौ प्रज्ज्वलित की, जिसकी लपटें जाति-पाँति, ऊँच-नीच, छुआछूत, भेदभाव, अमीरी-गरीबी, पुरुष-स्त्री, विषमताओं और क्षेत्रीयतावाद जैसी प्रवृत्तियों को निरंतर जलाती रहीं। नाथपन्थ के विचार-दर्शन ने एक ऐसी योगी-परंपरा को जन्म दिया, जिसने भारतीय संस्कृति के एकाकार सामाजिक चिंतन को ही अपना उद्देश्य बना दिया।

ASIN ‏ : ‎ B0DMFJC2S1
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan Pvt. Ltd. (7 November 2024)
Language ‏ : ‎ Hindi
Paperback ‏ : ‎ 648 pages
Item Weight ‏ : ‎ 425 g
Dimensions ‏ : ‎ 22 x 14 x 1.6 cm
Country of Origin ‏ : ‎ India
Net Quantity ‏ : ‎ 3 Count
Packer ‏ : ‎ BestSellingBooks
Generic Name ‏ : ‎ Book

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