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Das Pramukh Upnishad + Gita Vatika ke Chune Huye Pushp + MAHAKUMBHA: Sanatan Sanskriti ki Ajasra Chetna | A Beautiful Collection Of Hindu Religious & Cultural Books (Set of 3 Books in Hindi)

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9789355622761 : Das Pramukh Upnishad

दे दीप्यमान, फिर भी गुप्त- यह आत्मा (ब्रह्म) हृदय रूपी गुहा में निवास करती है। वह सबकुछ, जो गतिशील है, श्वास लेता है, देखता है, अर्थात् समस्त इंद्रियाँ आत्मा में वास करती हैं, वह ज्ञान (शिक्षा) से परे है, सजीव निर्जीव समस्त जीवों/पदार्थों से श्रेष्ठ है।’ ‘इस प्रकाशमान, अविनाशी ब्रह्म, जो समस्त आधारों का आधार है, में संपूर्ण ब्रह्मांड, यह जगत् एवं समस्त जीव-जंतु निहित हैं। यह परम ब्रह्म ही जीवन है, यही वाणी है, यही वह तत्त्व है, जो अमर है, अविनाशी है। हे पुत्र ! तुमको इसी ब्रह्म का ज्ञान प्राप्त कर उसी में प्रवेश करना है।’

– इसी पुस्तक से

9789355623447 : Gita Vatika ke Chune Huye Pushp

मनुष्य जीवन दुर्लभ है, अनमोल है। इसका महत्त्व समझे। जीवन अशुभता का करीषचय (गन्दगी का ढेर) न बनने दे, जहाँ से दुष्वृत्तियों, दुर्गुण दुर्भाव एवं दुर्व्यव सनों की दुर्गन्ध – दुर्बास आये।

आओ, प्रवेश करें गीता वाटिका में। विभिन्न भावों के चुने हुए पुष्पों की सुन्दर-सुबासित माला-स्वीकार करें धारण करने का मन बनायें; अवश्य ही अनुभव होगी सद‌विचार, सद्‌गुण एवं सत्कर्म – सद्भाव की प्रेरक सुबास, जगेगा दृढ़ आत्म विश्वास; ज्ञान’. का प्रकाश, ‘आनन्द’ का उल्लास; आओ जी ओगीता’ भावों के साथ पाओ दिव्य ‘श्री कृष्ण कृपा सौगात ।

9789355626103 : MAHAKUMBHA: Sanatan Sanskriti ki Ajasra Chetna

कुंभ भारतीय समाज का ऐसा पर्व है, जिसमें हमें एक ही स्थान पर पूरे भारत के दर्शन होते हैं। हर बारह वर्ष बाद शंकराचार्यों के नेतृत्व में हमारे मनीषी देश की नीति और नियम तय कर समाज को संचालित करते थे। ये नियम सनातन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के साथ-साथ समय की माँग के अनुसार भी बनते थे।

कुंभ पर्व के दौरान माँ गंगा में स्नान का महत्त्व भी पुण्यफल देने वाला है। केवल स्नान कर लेने से कुंभ पर्व का उद्देश्य पूरा नहीं होता, जब तक वैचारिक आदान-प्रदान न हो और देश के विभिन्न प्रांतों से विविध भाषा-भाषी आध्यात्मिक उन्नयन, देश के उत्थान की चर्चा, धर्म की चर्चा, अपनी पुरातन संस्कृति को कैसे जीवित रखा जाए तथा समाज को नई दृष्टि देकर उसका मार्गदर्शन कैसे किया जाए आदि पर चर्चा न करें।

आज जिस तरह राष्ट्रीय एकता और भावनात्मक एकता का प्रचार हो रहा है, वैसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। साथ ही वर्तमान गंगा में जिस प्रकार से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, वह चिंतनीय है। अगर आज हम गंगा की पवित्रता व निर्मलता बनाए रखेंगे, तभी हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस दिव्य-पावन ‘कुंभ’ का अनुष्ठान कर अपनी आध्यात्मिक, धार्मिक, सभ्यता व संस्कृति को बचा पाएँगी।

ASIN ‏ : ‎ B0DMFBHS35
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan Pvt. Ltd. (7 November 2024)
Language ‏ : ‎ Hindi
Paperback ‏ : ‎ 456 pages
Item Weight ‏ : ‎ 350 g
Dimensions ‏ : ‎ 22 x 14 x 1.5 cm
Country of Origin ‏ : ‎ India
Net Quantity ‏ : ‎ 3 Count
Packer ‏ : ‎ BestSellingBooks
Generic Name ‏ : ‎ Book

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